About The Books
प्रस्तुत पुस्तक में कृषि विपणन एवं कृषि ऋण के बारे मे सविस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। कृषि के क्षेत्र में कौन कौन सी बीमा योजनाएं हैं एवं किसान भाई इन योजनाओं में अपनी भागेदारी कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं इसके बारे में विस्तार से बताया गया है। किसान को फसल उत्पादन के समय प्राकृतिक आपदाएँ जैसे बेमौसम वर्षा से बाढ़, ओला, पाला, तूफान, आग इत्यादि से नुकसान होने पर एवं जानवरों इत्यादि से नुकसान के बाद किसान भाई कैसे अनेक बीमा योजनाओं का लाभ ले सकते हैं, ऐसी बीमा योजनाओं के बारे मे किसानों का इस पुस्तक के माध्यम से मार्गदर्शन किया गया है। कृषि उत्पाद के आयात एवं निर्यात की पूरी प्रक्रिया एवं किसी उत्पाद के निर्यात के लिए सावधानियाँ एवं मुख्य कार्य योजना का उल्लेख किया गया है। आयात एवं निर्यात हेतु प्राथमिकता का भी वर्णन किया गया है। कृषि विपणन के मार्ग में आने वाली बाधाएँ एवं उपाय सुझाये गए हैं। कृषि विपणन के लिए सुधारात्मक सुधार कैसे करते हैं इसके बारे में वर्णन किया गया है। कृषि विपणन प्रबंधन एवं सुधार के लिए उपाय एवं सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास का सविस्तार वर्णन किया गया है। किसान भाई के लिए देश में उपलब्ध बाजार के बारे में जानकारी दी गई है, जहां पर किसान अपने उत्पाद उचित मुल्य पर बेच सकें और ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त कर सकें। इसके अतिरिक्त प्रस्तुत पुस्तिका में भारतीय कृषि में विपणन की नई योजनाओं के बारे में विस्तार से एवं इनके क्रियान्वन के बारे में उचित मार्गदर्शन किया गया है।
About The Author
डॉ. प्रदीप कुमार सिंह वर्तमान समय में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। इनकी नियुक्ति सब्जी विज्ञान विभाग शेर-ए-कश्मीर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय-कश्मीर शालीमार श्रीनगर में है। इन्होने अपनी विधा वाचस्पति की उपाधि सन 2005 में प्राप्त की थी। इन्होने नेट की परीक्षा 2003 में उतीर्ण की थी। इनका कुल अनुभव 9 वर्ष से ज्यादा है जिसमें प्रमुख रूप से शोध शीक्षा एवं प्रसार है। इन्होने अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लिया है एवं अनेक लेख एवं आलेख प्रस्तुत किये हैं। इन्होने अभी तक 12 विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भी भाग लिया है। जिससे इनको अनेक प्रकार के अनुभव प्राप्त हुए हैं। इनके राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में अनेक लेख प्रकाशित हुए हैं जिनमें मुख्य रूप से 14 लेख अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में एवं 16 लेख राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित है। 65 सारांश विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रकाशित हुए हैं। इनकी चार पुस्तके भी प्रकाशित हुई है जिसका शीर्षक है मैनुअल ओन वेजिटेबल ब्रीडिंग है, अप्लाइड प्रॉडक्शन टेक्नालजी ऑफ वेजीटेबल, वेजीटेबल प्रॉडक्शन अंडर किच्चन गार्डेन एवं बायो टेकनोलोजी फर एग्रिकल्चर एंड एनवायरनमेंट प्रमुख हैं। इनके 6 अध्याय एवं 28 प्रचलित लेख विभिन्न
पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं ।
डॉ. राकेश कुमार सिंह (पी एच् डी) असिस्टेंट प्रोफेसर कवक रोग विज्ञान विभाग, कृषि विज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में वर्तमान समय में कार्यरत है। डॉ. सिंह ने अपनी स्नातक की शिक्षा नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय एवं प्रोधोगिकी, कुमारगंज, फैजाबाद से पूर्ण किया तदुपरान्त भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद से जूनियर रिसर्च फेलोशिप प्राप्त कर परास्नातक की शिक्षा कवक रोग विज्ञान विभाग, कृषि विज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से गोल्ड मेडल के साथ पूर्ण किया। डा. सिंह ने पी एच डी उपरोक्त विश्वविद्यालय से सुत्रक्रिमी के जैविक नियंत्रण के सन्दर्भ में किया। डा. सिंह ने पादप रोग विज्ञान एवं प्लांट नेमेटोलोजी के क्षेत्र में खास तौर पर सुत्रक्रिमीयो के जैविक नियंत्रण एवं धान में लगने वाले रोगों के निदान पर शोध एवं प्रसार से सम्बंधित कार्य किया है। इन्होंने कई स्नातक, परास्नातक, पी एच् डी के छात्रों के मार्गदर्शक के रूप में एवं पादप रोगों से सम्बन्धित ट्रेनिंग एवं महत्वपूर्ण जानकारियाँ किसानों को देने में भी अपना बहुमूल्य समय दिया है। डा. सिंह कई प्रोफेशनल सोसाइटीज के लाइफ मेम्बर है एवं इनके लगभग 40 शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए है। इन्होंने UGC, UPCAR, ICAR एवं विभिन्न प्राइवेट कंपनियों द्वारा वित्त पोषित कई शोध परियोजना को संचालित किया है एवं धान के आल इंडिया कोऑर्डिनेटेड इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम से भी जुड़े है।
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