About The Books
विज्ञान तथा नवीनतम तकनीकों का राष्ट्र एवं समाज द्वारा विकास के लिये उपयोग इस बात पर निर्भर करता है कि उक्त विषयों का साहित्य स्थानीय अथवा आम भाषा में उपलब्ध है या नहीं। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात भारत में हिन्दी को राष्ट्र भाषा के रूप में मान्यता मिल चुकी है तथा हिन्दी का विभिन्न स्तरों पर अधिकाधिक प्रयोग हो रहा है। इस दिशा में विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षण का कार्य विशेषतया विज्ञान एवं कृषि के विषयों में अभी तक
रूप से हिन्दी में करना सम्भव नहीं हो सका है | वांछित स्तर का हिन्दी में उपलब्ध पुस्तकों का अभाव इसके लिये प्रमुख कारण रहा है। स्नातक स्तर पर, डेरी विज्ञान में, हिन्दी विषय में उपलब्ध पुस्तकों का अभाव रहा है। जिससे हिन्दी भाषी क्षेत्रों के विद्यार्थियों को इस विषय को अंग्रेजी पुस्तकों से समझने में बड़ी कठिनाई होती रही है। हिन्दी भाषा में डेरी विज्ञान में पुस्तक उपलब्ध कराने का प्रयास मेरे द्वारा किया जा रहा है। इस पुस्तक के अध्ययन से डेरी संयंत्र में कार्यरत डेरी पेशेवरों को दुग्ध तथा दुग्ध उत्पाद के संसाधन करने में पूरा-पूरा लाभ प्राप्त होगा। इसके अतिरिक्त दुग्ध शीत केन्द्रों में कार्यरत प्रबन्धकों को दुग्ध प्रबंधन में भी सहायता प्राप्त होगी। डेरी के विपणन शाखा में कार्यरत प्रबन्धकों के द्वारा उपभोक्ताओं को दुग्ध तथा दुग्ध उत्पाद की समुचित जानकारी देने के प्रबन्धन में भी यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी।
About The Author
डॉ. रमाकान्त शर्मा (एम.एस.सी.पी.एच.डी.) इन्चार्ज बैक्टीरियोलोजिस्ट, भोपाल सहकारी दुग्ध संघ मर्यादित डेरी प्लान्ट, हबीबगंज, भोपाल में सन् 1982 से केमिकल तथा माइक्रोबायोलोजिकल एनालिस्ट के रूप में सेवारत हैं। डॉ. शर्मा को सन् 1993 में डेरी एफ्ल्युएंट विषय में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से पी .एच. डी. उपाधि प्राप्त हुई है। लेखक द्वारा जून 1995 में डेरी एफ्ल्युएंट ट्रीटमेन्ट प्लान्ट तथा इनवायरानमेंट को मैनेज करने के लिये विभाग को प्रोजेक्ट तैयार कर प्रस्तुत किया गया है। जिसे भोपाल सहकारी दुग्ध संघ मर्यादित डेरी प्लान्ट, हबीबगंज, भोपाल तथा इंदौर सहकारी दुग्ध संघ मर्यादित डेरी प्लान्ट, मांगलिया, इंदौर में लागू किया गया हैं। डॉ. शर्मा को सन् 2002 में नेशनल डेरी डवलपमेन्ट बोर्ड, आनन्द, गुजरात द्वारा "जनरेशन आफ नेशन वाइड डाटा बेस आन इमपारटेन्ट मिल्क क्वालिटी पैरामीटर्स" के लिए भोपाल सहकारी दुग्ध संघ का नामिनी बनाया गया था। लेखक ने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, तथा म. प्र. के अन्य विश्वविद्यालयों एवं उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों के करीब दो सौ छात्रों को माइक्रोबायोलोजी, बायोटेक्नोलोजी, फूडटेक्नोलोजी तथा डेरी टेक्नोलोजी विषय में प्रोजेक्ट फाइल तैयार कराने में मार्गदर्शन किया है। डॉ. शर्मा के चार रिसर्च पेपर "नेशनल रिसर्च सेमिनार माइक्रोवियल वल्ड एण्ड इट्स एप्लिकेशन इन लाइफ" में प्रजेनटेंशन किया है। यह सेमिनार सन् 2004 में मोतीलाल विज्ञान महाविद्यालय भोपाल में अर्गनाइज्ड किया गया था। लेखक ने दो और उपयोगी पुस्तकों का भी लेखन किया है। पहली पुस्तक जिसका शीर्षक "केमिकल एण्ड माइक्रोबायोलोजिकल एनालिसिस आफ मिल्क एण्ड मिल्क प्रोडक्ट" है। दूसरी पुस्तक का शीर्षक "प्रोडक्सन, प्रोसेसिंग एण्ड क्वालिटी आफ मिल्क प्रोडक्ट्स” है।