About The Books
भारत की 70 प्रतिशत जनसंख्या परोक्ष या अपरोक्ष रूप से कृषि पर आधारित है। कृषि क्षेत्र में दिन प्रतिदिन नई एवं उन्नत पद्धतियों का प्रयोग किया जा रहा है जिससे देश की जनसंख्या का भरण-पोषण एवं विकास कर समृद्ध एवं आत्मनिर्भर बनाया जा सके । प्रस्तुत पुस्तक को 7 भागों में बांटा गया है जिसके अन्तर्गत मृदा विज्ञान, सस्य विज्ञान, उद्यान विज्ञान, पादप रोग विज्ञान, पशु विज्ञान, कृषि विपणन एवं अभियंत्रण एवं ग्रामीण विकास के बारे में विषय विशेषज्ञों/ वैज्ञानिकों द्वारा विस्तृत प्रकाश डाला गया है। इस पुस्तक में कुल 29 अध्याय हैं जो कृषि स्नातकों, परास्नातकों, प्राध्यापकों और कृषि में रुचि रखने वाले लोगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लिखे गये हैं। इस पुस्तक को हिन्दी भाषा में तैयार करने का प्रमुख उद्देश्य भाषीय जटिलता को कम कर हिन्दी भाषा के सरल शब्दों द्वारा कृषि की नई पद्धतियों के बारे में अवगत कराना है जिससे कृषकों, कृषि छात्रों, प्राध्यापकों एवं अनुसंधानकर्ताओं का ज्ञानवर्धन हो सके तथा कृषि क्षेत्र में इन उन्नत पद्धतियों को अपनाया जा सके।
About The Author
डॉ. शशांक शेखर सोलंकी, वर्ष 2012 से बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (भागलपुर) में उद्यान विज्ञान (शाक एवं पुष्प) विभाग में बतौर सहायक प्राध्यापक-सह-कनीय वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैं । ग्रीष्म एवं सूखा अवरोधी, टमाटर की किस्मों का विकास एवं भिण्डी में पीतशिरा रोग रोधी किस्मों का विकास इनके अनुसंधान और रुचि के क्षेत्र हैं। इन्होंने अब तक 45 शोध-पत्र, 04 विश्लेषनात्मक लेख, 03 पुस्तक, 15 अध्याय एवं कई लोकप्रिय लेख प्रकाशित किये हैं। डॉ. सोलंकी को कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान में योगदान हेतु राष्ट्रीय/ अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा प्रदत्त 10 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. सोलंकी कई राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय शोध-पत्रों में बतौर समीक्षक तथा सम्पादक मंडल सदस्य के रूप में जुड़े हुए हैं तथा भारतीय सब्जी संघ तथा भारतीय बागबानी संघ के आजीवन सदस्य भी हैं। वर्तमान में डॉ. सोलंकी, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के अन्तर्गत डॉ. कलाम कृषि महाविद्यालय, अर्राबाड़ी (किशनगंज) में प्रतिनियुक्त हैं।
डॉ. अरिन्दम नाग ने स्नातकोत्तर की उपाधि आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली एवं पीएच.डी. आईसीएआर-नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टिट्यूट, करनाल, हरियाणा से कृषि प्रसार शिक्षा में प्राप्त की। इन्हें विभिन्न राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित संस्थानों एवं परिषदों से उत्कृष्ट शैक्षिक उपलब्धियों के लिए मान्यता मिली थीं। इन्होंने सामाजिक विज्ञान (2009), एनडीआरआई-एसआरएफ (2011), आईसीएआर-एसआरएफ (2012), आईसीएमआर-जेआरएफ (2012) में आईसीएआरजेआरएफ के साथ आईसीएआर और यूजीसी नेट भी उत्तीर्ण किया है। डॉ. नाग वर्ष 2015 से बिहार
कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, (भागलपुर) के प्रसार शिक्षा विभाग में सहायक प्राध्यापक-सह-कनीय वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैं और वर्तमान में डॉ. कलाम कृषि महाविद्यालय, किशनगंज में प्रतिनियुक्त हैं। उन्होंने कृषि प्रसार, जलवायु परिवर्तन, युवा अध्ययन, आईसीटी आधारित विस्तार सेवाओं आदि में तकनीकी परिवर्तनों पर शोध कार्य किया है। उन्हें कृषि में कियोस्क आधारित प्रसार सेवाओं पर राज्य निधि परियोजना द्वारा अनुसंधान अनुदान से सम्मानित किया गया था । राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में उनके 35 से अधिक प्रकाशन हैं। अभी हाल ही में इन्हें कृषि में योगदान के लिये यंग फैकल्टी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
डॉ. शौजी लाल बैरवा, वर्ष 2015 से बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (भागलपुर) में कृषि अर्थशास्त्र विभाग में बतौर सहायक प्राध्यापक-सह-कनीय वैज्ञानिक कार्यरत हैं। कृषि अर्थशास्त्र, कृषि व्यवसाय प्रबंधन और उद्यमिता विकास इनके अनुसंधान और रुचि के क्षेत्र हैं। इनके 80 से भी अधिक प्रकाशन राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं जिनमें किताबें, अनुसंधान लेख, प्रायोगिक पुस्तिकायें और लोकप्रिय लेख प्रमुख रूप से सम्मिलित हैं। डॉ. बैरवा को कृषि में योगदान हेतु कई छात्रवृत्तियाँ, सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। डॉ. बैरवा कई राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में बतौर समीक्षक तथा सम्पादक मंडल सदस्य से जुड़े हुए हैं तथा भारतीय कृषि विपणन संघ तथा कृषि अर्थशास्त्र अनुसंधान संघ के आजीवन सदस्य भी हैं। वर्तमान में डॉ. बैरवा, बिहार कृषि महाविद्यालय, सबौर के अन्तर्गत डॉ. कलाम कृषि महाविद्यालय, अर्राबाड़ी (किशनगंज) में प्रतिनियुक्त हैं।
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